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इन दिनों भारतीय क्रिकेट में जो हो रहा है वो किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है. अहमदाबाद वनडे में भारतीय टीम मैनेजमेंट ने 7 गेंदबाजो को मैदान पर उतारा जिनमें 4 स्पिनर और 3 तेज गेंदबाज है . ये अलग मुद्दा है कि …और पढ़ें

4 बल्लेबाज और 7 गेंदबाजों के साथ खेलने की नई रणनीति के पीछे किसका दिमाग ?
हाइलाइट्स
- अहमदाबाद वनडे में भारतीय टीम ने 7 गेंदबाज खिलाए.
- 4 स्पिनर और 3 तेज गेंदबाजों को मौका मिला.
- टीम मैनेजमेंट की रणनीति पर सवाल उठे.
नई दिल्ली. किसी फैसले से आप चौंक जाते है और कई निर्णय आपको हैरान कर देता है. इन दिनों भारतीय क्रिकेट में जो हो रहा है वो किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है. ऑस्ट्रेलिया में हुए प्रयोग से अभी भारतीय फैंस उबर भी नहीं पाए थे कि इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के अंतिम मैच में टीम मैनेजमेंट ने ऐसी टीम मैदान पर उतारी जिसको देखकर आप सकते में आ जाएंगे.
अहमदाबाद वनडे में भारतीय टीम मैनेजमेंट ने 7 गेंदबाजो को मैदान पर उतारा जिनमें 4 स्पिनर और 3 तेज गेंदबाज है . ये अलग मुद्दा है कि इनमें से 4 गेंदबाज बल्लेबाजी भी कर लेते है पर इसका मतलब ये नहीं कि टीम को स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों की जरूरत नहींं. ये एक ऐसी रणनीति जो ये दर्शाती है कि टीम मैनेजमेंट को ना तो अपने स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों पर भरोसा है और ना स्पेसलिस्ट गेंदबाजों पर.
टॉस, टीम और टेंशन
अहमदाबाद में लगातार तीसरा टॉस हारने के बाद जब रोहित ने अपनी प्लेइंग इलेवन बताना शुरु किया तो हर कोई हैरान था. टीम में खुद कप्तान रोहित, शुभमन गिल, विराट कोहली और श्रेयस आय्यर के बाद जो अगला नाम आया वहां से शुरु हो गई गेंदबाजों के नाम. ना जाने कितने साल के बाद भारतीय टीम में 7 ऐसे नाम थे जिनका काम पहले गेंदबाजी करना फिर बल्लेबाजी है यानि बॉलिंग आलराउंडर. अक्षर पटेल, रवींद्र जडेजा, वॉशिंगटन सुंदर, हार्दिक पांड्या तो बैटिंग कर लेते है पर अगले तीन नाम अर्शदीप सिंह, हर्षित राणा और कुलदीप यादव स्पेशलिस्ट गेंदबाज है. यानि टीम मैनेजमेंट ने गेंदबाजों की फौज उतारी है. इतिहास उठाकर देखे तो शायद ही भारतीय टीम में इतने बॉलिंग ऑप्शन होंगे जिसकी जरूरत शायद बिल्कुल नही हैं.
7 गेंदबाज खिलाने के पीछे की मंशा
डर वो शब्द है जो आपको हमेशा सुरक्षित रणनीति बनाने पर मजबूर करता है और आगे क्या गलत हो सकता है उसको बचाने के लिए गलत फैसे लेते है . यानि 1 ने नहीं रन बनाया तो 2 बना देगा 2 ने नहीं बनाया तो 3-4-5-6 है ना ठीक उसी तरह से गेंदबाजी के बारे में भी सोच बन जाती है कि बाएं हाथ का स्पिनर नहीं चला तो आप स्पिनर भी रख लो तेज गेदबाज नहीं चला तो उसका भी बैकअप रख लो और अंत में कोई नहीं चला तो टीम बदल दो. इसी कवर करने की रणनीति की वजह से ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज हारें और अब फिर वनडे क्रिकेट में ये शुरु हो चुका है. अपने स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों पर भरोसा ना होने से बड़ी तादाद मों आलराउंडर्स प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बन चुके है पर सवाल बड़ा ये है कि सालों साल से जो बल्लेबाज रन बनाने का काम करते आए है उनकी जगह कामचलाउ बल्लेबाज भर पाएंगे.
New Delhi,Delhi
February 12, 2025, 14:15 IST